हम हैं तो क्या गम है... जहां भी जाते हैं, छा जाते हैं भारतीय; UK के इन आंकड़ों पर यकीन कर पाएंगे आप?

नई दिल्ली: ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग (एनआरआई) कामयाबी की बुलंदियों को छू रहे हैं, इसका शानदार उदाहरण हैं ऋषि सुनक और हिंदुजा परिवार। सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे हैं और हिंदुजा परिवार देश के सबसे अमीर लोगों की फेहरिस्त में शामिल है। ब्रि

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नई दिल्ली: ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग (एनआरआई) कामयाबी की बुलंदियों को छू रहे हैं, इसका शानदार उदाहरण हैं ऋषि सुनक और हिंदुजा परिवार। सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे हैं और हिंदुजा परिवार देश के सबसे अमीर लोगों की फेहरिस्त में शामिल है। ब्रिटेन के जाने-माने संस्थान 'पॉलिसी एक्सचेंज' की एक रिपोर्ट में भारतीयों की इस कामयाबी के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला गया है।

हर क्षेत्र में भारतीयों ने यूके में गाड़ा है झंडा

रिपोर्ट में बताया गया है कि शिक्षा और आर्थिक तरक्की के मामले में भारतीय, ब्रिटेन के आठ प्रमुख जातीय समूहों में सबसे आगे हैं। इस रिपोर्ट में 'एजुकेशनल एंड इकोनॉमिक इंडेक्स' (EEI) के आधार पर आंकलन किया गया है। इस इंडेक्स में स्कूलों में प्रदर्शन, डायरेक्टर और सीनियर मैनेजर जैसे पदों पर नियुक्ति, औसत वेतन और घर के मालिकाना हक जैसे मानकों को शामिल किया गया है।


यूके में 60% भारतीय नौकरीपेशा

ब्रिटेन में रहने वाले 10 में से 6 भारतीय नौकरीपेशा हैं। इसके अलावा स्वरोजगार करने वालों की संख्या भी भारतीयों में काफी ज्यादा है। लगभग आधे भारतीय अपने कार्यस्थलों पर डायरेक्टर या सीनियर मैनेजर जैसे ऊंचे पदों पर आसीन हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ज्यादातर भारतीय वाइट कॉलर जॉब करते हैं जिस की वजह से उनका औसत वेतन भी ज्यादा है।


लगभग आधे शीर्ष पदों पर भारतीय

यूके में भारतीय न केवल सबसे ज्यादा नौकरियों में हैं, बल्कि अपने कार्यस्थल पर निदेशक या वरिष्ठ प्रबंधकीय पदों पर काम करने वाले पेशेवरों में भारतीयों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।


मोटी तनख्वाह पाने वालों में भी भारतीय अव्वल

वाइट कॉलर जॉब्स में भारतीय श्रमिकों की बड़ी हिस्सेदारी है। यही वजह है कि यूके में रह रहे भारतीयों की औसत प्रति घंटा वेतन सबसे ज्यादा है।


संपत्ति के स्वामित्व की रेस में भी आगे

रिपोर्ट के मुताबिक, घर का मालिकाना हक होना भी भारतीयों की तरक्की का एक बड़ा कारण है। इंग्लैंड और वेल्स में हुई 2021 की जनगणना के अनुसार, घर के मालिकाना हक के मामले में भारतीय औसत से 8 प्रतिशत और गोरे ब्रिटिश नागरिकों से 3 प्रतिशत आगे हैं।


भारतीय बच्चे पढ़ने में भी तेज

शिक्षा के मामले में भी भारतीय पीछे नहीं हैं। 16 साल की उम्र तक मिलने वाले 'अटेन्मेंट 8' स्कोर के मामले में भारतीय विद्यार्थी केवल चीनी विद्यार्थियों से ही पीछे हैं। अटेंमेंट 8 एक ऐसा तरीका है जिससे ब्रिटेन में छात्रों की कक्षा 10वीं (आमतौर पर 14-16 वर्ष की आयु) में विषयों के समूह में प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। यह देखने के लिए है कि छात्रों ने अपने GCSE परीक्षाओं में कितना अच्छा किया है, जो इस उम्र में छात्रों द्वारा ली जाने वाली मुख्य योग्यताएं हैं।


स्थिर एवं मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय परिवारों में अन्य समुदायों की तुलना में माता-पिता दोनों का साथ बच्चों को ज्यादा मिलता है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'बचपन में माता-पिता दोनों का साथ मिलने से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।'


सामाजिक कार्यों में भी पीछे नहीं

सामाजिक रूप से जुड़ाव के मामले में भी भारतीय अन्य एशियाई समूहों से बेहतर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 'किसी व्यक्ति का अपने दोस्तों, सहकर्मियों, पड़ोसियों और धार्मिक स्थानों से जुड़ाव उसकी 'ब्रिटिश' पहचान को मजबूत बनाता है।' सामाजिक जुड़ाव के मामले में भारतीय, केवल अश्वेत अफ्रीकियों से ही पीछे हैं।


स्वभाव से ही प्रगतिशील हैं भारतीय

व्यक्ति की तरह समाज और राष्ट्र का भी अपना-अपना स्वभाव होता है। भारत स्वभाव से ही सहिष्णु है और भारतीय समाज में योगदान करने को उत्सुक। यही वजह है कि भारतीयों ने किसी वजह से देश छोड़कर विदेश में भी अपने आशियाने बनाए तो वहां भी अपना मिजाज नहीं बदला। पॉलिसी एक्सचेंज की रिपोर्ट में यूके में बसे भारतीयों को लेकर जो बातें सामने आई हैं, वो इन्हीं बातों की तस्दीक करती हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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